October 8, 2017

क्या मान लू | बटवारे (हिंदी कविता) | Kya Maan Loon | Batwaare (Hindi Poem)

कट कट के 
बट बट के
ज़ी रहा |
कबसे ?
जबसे आया 
कहाँ ?
यहाँ |

पूछी वजह 
जब सबसे 
जवाब, क्या मिला
क्या पता .. क्या पता |

ये तो ऐसा था 
ऐसा है 
ऐसा ही रहेगा |
क्या मान लू 
मै इसे 
कैसे ?

पहले नाम से खुश नही 
अगला तो बता 
पता चले रे भाई 
तेरी ज़ात है क्या |

हरा रंग है मेरा 
सतरंगी भी मेरा 
धर्म की आड़ में
सबने लाल रंग है फेरा |

क्या मान लू 
मै इसे 
कैसे ?

बोली अलग 
बाणी अलग 
अच्छा है |
कौन सच्चा 
कौन  झूठा 
फरक क्यों पड़ता है |

बटवारे 
ने ना तुझको छोड़ा 
ना मुझको छोड़ा
इसने 
तुझको तोड़ा 
मुझको तोड़ा |

क्या मान लू
मै इसे 
कैसे ?


Kat kat ke
Bat bat ke
Jee raha ..
Kabse ?
Jabse aya
Kha ?
Yha ..

Puchi wajah
Jab sabse
Jwaab kya mila
Kya pta ? Kya pta ?

Ye to esa tha
Esa hai
Esa hi Rahega ..
Kya maan loon
Mai Isey
Kese ?

Pehle naam se khush nahi
Agla to btaa
Pata chale re bhai
Teri jaat hai kya ..

Haraa rang hai mera
Satrangi bhi mera
Dharam ki aad me
Sabne laal rang hai fera ..

Kya maan loon
Mai isey
Kese ?

Boli alag
Baani alag
Acha hai ..
Kon sacha
Kon jutha
Farak kyu padta hai ..

Batwaare
Ne naa tujhko choda
Naa mujhko choda
Isne 
Tujhko toda
Mujhko toda

Kya maan loon
Mai isey
Kese?

No comments: