शौर सा हुआ,
मेरी तन्हाई में ..
शांत मन को,
आवाज़ सी मिली ..
कुछ कहते,
होंठ मेरे ..
उसे पहले,
आँखे गीली हुई ..
कहते भी किसे,
गम मेरे ..
इतनी समझ तो,
अपनों में भी नही ..
समझा दिया धीरे से,
दिल को अपने ..
इसने भी,
मेरी ही राह चुनी |
Shor sa hua ..
Meri tanhai me ..
Shant mann ko ..
Awaz si mili ..
Kuch kehte ..
Honth mere ..
Usey pehle ..
Ankhe gili hui ..
Kehte bhi kisey ..
Gum mere ..
Itni smjh to ..
Apno me bhi nahi ..
Smjha diya dhire se ..
Dil ko apne ..
Isne bhi ..
Meri hi raah chuni ..
Sukhi
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